छत्तीसगढ़ में सामने आए महादेव सट्टा मामले में मनी लॉन्ड्रिंग करने के आरोप में बिजनेसमैन सुनील दम्मानी को पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था। आखिरकार शीर्ष अदालत ने गुरुवार को उन्हें जमानत दे दी।
Supreme Court – फोटो : PTI
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छत्तीसगढ़ के व्यवसायी सुनील दम्मानी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उन्हें शीर्ष अदालत ने गुरुवार को जमानत दे दी। बता दें, दम्मानी को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल अगस्त में अवैध जुआ महादेव एप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।
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जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत: कारोबारी के वकील
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से जेल में बंद व्यवसायी के वकील ने हाल ही में आग्रह किया था कि जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। इसी याचिका पर आज सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि दम्मानी ने आरोपों की गंभीरता को समझे बिना ऐसा किया।
इन शर्तों के साथ दी गई जमानत
पीठ ने कहा कि दम्मानी पिछले साल 23 अगस्त से हिरासत में हैं। इसलिए उसे जमानत देने से इनकार करने वाले छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि गुण-दोष के आधार पर कुछ कहे बिना हमारा विचार है कि अपीलकर्ता को जमानत की शर्तों के साथ जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यदि किसी अन्य जांच में दम्मानी की आवश्यकता न हो तो अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है, बशर्ते कि वह संबंधित जिले में ईडी कार्यालय में हर 15 दिन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। वह निचली अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं।’
13 महीने से अधिक समय से जेल में
सुनवाई शुरू होने पर दम्मानी के वकील विकास पाहवा ने कहा था कि उनके मुवक्किल 13 महीने से अधिक समय से जेल में हैं। मुख्य आरोपी जांच में शामिल नहीं हुआ है और मामले में मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कहा कि इस मामले में 45 आरोपी हैं। कारोबारी पर अपराध से अर्जित धन को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि अवैध तरीके से विदेश भेजने का आरोप है।
मुख्य साजिशकर्ता फरार
जांच एजेंसी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मुख्य साजिशकर्ता फरार हैं और उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए गए हैं। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने इस तथ्य पर गौर किया कि दम्मानी पिछले साल अगस्त से जेल में हैं और वह आरोपों के गुण-दोष पर विचार किए बिना तथा इस तथ्य को ध्यान में रखे बिना उन्हें जमानत दे रहा है कि ईडी द्वारा शिकायत (आरोप पत्र) पहले ही दायर की जा चुकी है।
शीर्ष अदालत दम्मानी की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय के 26 जुलाई के आदेश को चुनौती दी गई थी।
10 लोगों की संपत्तियों की तलाशी भी ली थी
आपको बता दें कि पिछले साल 23 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महादेव ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कथित संलिप्तता के लिए दम्मानी और तीन अन्य को गिरफ्तार किया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा सहित 10 लोगों के ठिकानों पर भी तलाशी ली थी। मामले में दम्मानी के अलावा उनके भाई अनिल दम्मानी, छत्तीसगढ़ पुलिस के सहायक उपनिरीक्षक चंद्र भूषण वर्मा और रायपुर निवासी सतीश चंद्राकर को भी गिरफ्तार किया गया था। ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला दुर्ग जिले के मोहन नगर पुलिस स्टेशन में अवैध जुआ ऐप ‘महादेव’ के खिलाफ 2022 में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से जुड़ा है।
ईडी के आरोप
ईडी के मुताबिक, दम्मानी बंधुओं की एक ज्वैलरी शॉप और एक पेट्रोल पंप है और कथित तौर पर हवाला लेन-देन में उनकी भूमिका थी। एएसआई वर्मा ने कथित तौर पर अन्य आरोपियों को पुलिस कार्रवाई से बचाने के लिए उनसे पैसे लिए और संदेह है कि उसने अन्य पुलिस अधिकारियों को भी पैसे दिए।